आज मनुष्यप्राणी चाँद पर जाकर आया है! और वैज्ञानिक भी अभितक दुनिया की खोज कर ही रहे है!
लेकिन इंसान की अंतरात्माकी रहस्यमय ताकद क्या है इसके बारे मे अभीतक कोई खोज पूर्ण नहीं हुई!
अति प्राचीन काल मे मनुष्यप्राणी विश्वशक्ति से (ईश्वर) अपना संपर्क बनाता होगा ऐसी कल्पना कोई अतिशयोक्ती नहीं होगी ! हिन्दू फिलॉसॉफी कहती है की वेद ऋषिमूनीयोकी देन हैं!
ईसी वेदोमें जीवन का सार एवं रहस्यमय गुढता पनपी है ! इसी सत्यता का अनुभव हमे आज भी होता है! ग्रीक तत्वज्ञान मे भी एक ऐसा काल अधोरेखित किया है जब ईश्वर और इंसान का संवाद होता था !
तब ईश्वर इंसानोंको विश्वनिर्मिति की कई बाते सीखाता था ! अगर जन्म का समय निश्चित था तो मृत्यु का भी ! और इन दो समय को जोड़ने वाला भी कुछ समय, अंतराल निश्चित होगा !
इसी तत्वानुसार प्राचीन विद्वानोंने एवं अभ्यासकोने हर एक व्यक्ति को एक नंबर दिया ! उसी नंबर के गुणधर्मा नुसार उस व्यक्ति के भी गुणधर्म रहते है ऐसी खोज हुई !
इतना ही नहीं हर अंक का एक विशेष व्यक्तिमत्व होता है ! कुछ अलग सा स्वभाव भी होता है, और अंक को लिंग भी होता है !
पुरातन काल मे इजिप्शियन (मिस्र) मे लोग अंकशास्त्र (Numerlogy) एवं उनका रहस्य इस बारे मे खासा ज्ञान रखते थे, बल्की वो इसके विद्वान भी थे !
हमारे यहाँ वेदोमे एवं उपनिषदोमेभी अंको के बारेमे लिखा हुआ मिलता है ! चायना मे विषम अंक सफेद, दिन , सूर्य , तप्तता और आग को दर्शाता है !
और सम अंक रात, अंधेरा, काला, चंद्रमा, पृथ्वी, और जल को दर्शाता है ! आजभी जेमेट्रिका के नियमानुसार ही अंकशास्त्र को अभ्यासा जाता है !
अंकशास्त्र के अभ्यासको मे पाइथागोरस का स्थान सबसे ऊपर है ! या यूँ कहें उनको इस शास्त्र का जनक कहा जाता है ! उन्होंने दस विरोधी तत्वोंको अधोरेखित किया है !
अंक शास्त्र को स्थापित करते हुये उन्होंने इन्ही तत्वोंपे विश्वास का अस्तित्व टिका हुआ है ये सिद्धधांत भी बताया !